जौनपुर:- समाजवादी पार्टी के क़द्दावर नेता व राष्ट्रीय महासचिव आज़म खान की सीतापुर जेल से ज़मानत पर रिहाई मिलने के बाद समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं में खुशी है। समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता 2027 के सिलसिले में हौसलों से पुर हैं। और आज़म खान के विरुद्ध दर्ज मुकदमात को राजनीतिक दुश्मनी करार देते हुए कोर्ट पर विश्वास जताते हुए उनकी स्थायी रिहाई के लिए दुआ भी करते हैं। इसी श्रंखला में समाजवादी पार्टी के जिला उपाध्यक्ष डॉ सरफराज अहमद ने बात करते हुए कहा कि आज़म खान समाजवादी पार्टी के संस्थापकों में से हैं अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के छात्र यूनियन के सचिव रहते हुए इमरजेंसी के दौर में 18 महीने जेल में रहे रिहा होने के बाद विधानसभा के लिए चुने गए और आज़म खान एक बार नहीं लगभग 9 बार विधानसभा,राज्यसभा और लोकसभा भी चुने गए उनका लंबा राजनीतिक सफर रहा है।
यूपी सरकार में मंत्री जैसे पदों पर रहकर देश व समाज की तरक्की के लिए काम करते रहे आज़म खान किसी एक क़ौम या मज़हब के नेता नहीं है बल्कि वह समाजवाद में यकीन रखते हैं और दबे कुछ लोगों के हक़ की लड़ाई लड़ने में यक़ीन रखते हैं आज़म खान को शिक्षा से लगाव है इसी कारण से उन्होंने मौलाना जौहर यूनिवर्सिटी की बुनियाद रखी जहां समाज का गरीब बच्चा भी शिक्षा प्राप्त करके देश को तरक्की के पायदान पर ले जा सके इसके लिए आज़म खान ने मेहनत की और यूनिवर्सिटी का वजूद अमल में आया मगर अफसोस 2017 में बीजेपी सरकार बनने के बाद मुकदमात के सैलाब आ गए जिसमें मुर्गी बकरी भैंस चोरी तक के मुकदमात दर्ज कराए गए आज़म खान के खिलाफ तकरीबन 100 से अधिक मुकदमात दर्ज कराए गए जिनमें अदालत से ज़मानत मिलने के बाद रिहा हुए हैं। और उनके बाहर आने से पार्टी कार्यकर्ताओं को हौसला मिला है 23 माह जेल में बिताने के बाद पूरी हिम्मत व हौसले के साथ अपनी पहचान के साथ हालात का मुकाबला कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि कुछ लोग दिमाग में आज़म खान के समाजवादी पार्टी छोड़ने का सपना देख रहे थे जिसको आज़म खान ने साफ कर दिया है कुछ लोग समाजवादी पार्टी पर आज़म खान की मदद न करने का भी इल्जाम लगाते हुए नहीं थक रहे हैं जबकि उनके बेटे अब्दुल्ला आज़म ने इसका एतराफ़ करते हुए कहा कि कुछ मदद छुपी होती है जिसका शोर नहीं किया जाता है विरोधियों को यह बात अपने दिमाग़ में बैठा लेनी चाहिए कि आज़म खान के साथ समाजवादी पार्टी पूरी तरह से खड़ी थी और खड़ी रहेगी।