जौनपुर यूपी। नगर के पॉलिटेक्निक चौराहा स्थित जीऐचके हॉस्पिटल में बांझपन जैसी गंभीर समस्या को लेकर आमजन को जागरूक करने के उद्देश्य से आज एक निशुल्क आईवीएफ (इन विट्रो फर्टिलाइजेशन) जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया,इस कैंप में विशेषज्ञ डॉक्टरों द्वारा परामर्श दिया गया और लगभग 50 दंपत्तियों ने शिविर का लाभ उठाया।
इस अवसर पर आईवीएफ विशेषज्ञ डॉ. दीपिका मिश्रा ने कहा कि आईवीएफ एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें स्त्री और पुरुष के अंडाणु और शुक्राणु को शरीर के बाहर लैब में मिलाया जाता है और निषेचन के बाद भ्रूण को महिला के गर्भाशय में प्रत्यारोपित किया जाता है। यह तकनीक उन दंपत्तियों के लिए उपयुक्त है जो लंबे समय से संतान की इच्छा के बावजूद असफल हो रहे हैं, जैसे कि ट्यूब ब्लॉकेज, पुरुषों में कम शुक्राणु संख्या या अस्पष्टीकृत बांझपन।
उन्होंने बताया कि एक आईवीएफ चक्र में 15 से 20 दिन का समय लगता है,खर्च की बात करें तो यह अस्पताल और तकनीक पर निर्भर करता है, पर औसतन 1.5 से 2.5 लाख रुपए प्रति चक्र खर्च आ सकता है। कई अस्पतालों में अब सरकारी योजनाओं या सहायताओं के तहत रियायतें भी दी जा रही हैं,आईवीएफ एक सुरक्षित और वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित प्रक्रिया है। लोग कई बार यह सोचते हैं कि इससे पैदा हुए बच्चे "कृत्रिम" होंगे या असामान्य होंगे, लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है। आईवीएफ से जन्मे बच्चे भी सामान्य बच्चों की तरह ही होते हैं।
वहीं इस अवसर पर डॉक्टर अम्बर खान ने बताया कि हमारा उद्देश्य सिर्फ इलाज देना नहीं,बल्कि समाज को जागरूक करना भी है,आईवीएफ एक अत्यंत सुरक्षित और वैज्ञानिक तरीका है, जिससे हजारों दंपत्तियों को संतान सुख मिला है। ग्रामीण और छोटे शहरों में अब भी इस तकनीक को लेकर डर और भ्रम बना हुआ है, जिसे हम इस तरह के कैंप्स के माध्यम से दूर करने का प्रयास कर रहे हैं।